HOW MUCH YOU NEED TO EXPECT YOU'LL PAY FOR A GOOD अहंकार की क्षणिक प्रकृति: विनम्रता का एक पाठ

How Much You Need To Expect You'll Pay For A Good अहंकार की क्षणिक प्रकृति: विनम्रता का एक पाठ

How Much You Need To Expect You'll Pay For A Good अहंकार की क्षणिक प्रकृति: विनम्रता का एक पाठ

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आचार्य: तुम आत्मा हो? और क्या-क्या हो? परेश!

ये आदमी अब ज्ञान की तलाश में है। click here लेकिन एक बात इसने भी अभी पकड़ रखी है, क्या? कि ये कोई है और इसे कुछ चाहिए। राजसिक आदमी को भी कुछ चाहिए था, उसने कहा, “संसार में मिलेगा।” सात्विक आदमी को भी कुछ चाहिए था, उसने कहा, “भीतर मिलेगा, ज्ञान में मिलेगा।”

ये पूरा एक ढाँचा है। आप सिर्फ़ अपनी नौकरी से नहीं चिपके हुए हैं, और बहुत सारी चीज़ें हैं जिनसे आप चिपके हुए हैं। आप किसी एक चीज़ को नहीं छोड़ सकते। ये जीवन जीने की एक कला है।

धनराज पिल्लै का बचपन कठिनाइयों से भरा था। उनके परिवार की

तमसा के पास कोई महत्वाकांक्षा, ऐम्बिशन , कुछ नहीं। उसे ज़िंदगी में कहीं नहीं जाना। वो जहाँ है, उसे वहीं पड़े रहना है, और यही नहीं, उसका दावा ये है कि वो जहाँ है, वहीं ठीक है। उसे कोई ग्लानि भी नहीं, उसे कोई बैचेनी नहीं उठती। उसने अपने-आपसे इतना गहरा झूठ बोल दिया है कि उसने मान ही लिया है कि वो जहाँ है, जैसा है, ठीक है। ये तामसिक आदमी है।

यों तो व्यक्ति के अहंकारी होने के कई कारण हैं, लेकिन वर्तमान में धन-संपदा और भौतिकता के प्रदर्शन का घमंड लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। विशेषकर अचानक धनी बने लोगों का व्यवहार उनके दंभ को किसी न किसी रूप मेंं उजागर कर देता है। दरअसल, जब व्यक्ति के पास आवश्यकता से अधिक धन आ जाता है तो वह यही सोचने लगता है कि उसके पास सब कुछ है। वह दूसरों को अपने से हीन समझने लगता है। अगर वह व्यक्ति अज्ञानी और अशिक्षित हो तो यह प्रवृत्ति अधिक मुखर होकर दिखती है। अगर उस व्यक्ति ने अनैतिक कार्यों से धन अर्जन किया हो तो उसके घमंडी होने की आशंका और प्रबल हो जाती है। ऐसे व्यक्ति का सर्वनाश निश्चित होता है।

करना पड़ा। इस कारण उनका स्वभाव ऐसा बन गया था। धनराज भावुक भी है उनसे किसी का

भारत की दरियादिली देख चीन भी पसीजा, जान बचाने के लिए बोला- थैंक्स इंडिया

अमृतबिंदु उपनिषद् में कहा है — मन आप ही अपना दुश्मन है, मन आप ही अपना दोस्त है। अगर मुझे सूत्र सही याद है तो “मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः।” मन ही मनुष्य के बंधन और मोक्ष, दोनों का कारण है। तो अच्छा अहंकार आप समझ गये न कौनसा होता है?

हॉकी खेलता देख कर दाँतों तले उँगली दबा लेते थे। यही कारण था कि उन्हें हॉकी का

गीतिका समय पड़े तो आँखों को अंगार कीजिए कविता अहंकार अख़बार आषाढ़ की पहली बारिश एक कविता एक ललित गीत गाँव गाँव में चल भूख प्यास की भी कहानी लिख दे नये वर्ष की मधुर बधाई पटरियों पे दफ़न हुई आश पीठ पर हिमालय स्वतंत्रता दिवस के नाम पुस्तक समीक्षा जगती को गौतम बुद्ध मिला : धर्मेंद्र सुशांत भोजपुरी कहानियों की अनुपम भेंट : अगरासन - कृपी कश्यप विडियो ऑडियो विशेषांक में

माफी माँगना मुश्किल होता है या माफ करना, यह कई बार अपराध

आचार्य: आप सब कुछ नहीं छोड़ सकते जब तक आपके पास कुछ ऐसा नहीं है जो आपको आश्वस्ति दे, आप जिसकी शरण ले सकें, जिसमें आपकी श्रद्धा हो। ये जानिए कि आप अपना समय बर्बाद कर रहे हैं उन जगहों पर उपस्थित होकर जहाँ आपको नहीं होना चाहिए। और अगर आपको वहाँ होना ही है तो एक नई ऊर्जा के साथ उसको जारी रखें।

पर ये बात गोलू को समझ में ही नहीं आती क्योंकि उसने एक मूल भूल कर दी है। क्या करी है? उसने ‘कै’ को ‘मैं’ कहना शुरू कर दिया। वो जो छोटा-सा झूठ है वो बहुत भारी पड़ रहा है उसको। तो इसीलिए हर आदमी डरा रहता है अध्यात्म से। उसको लगता है कि, "अध्यात्म में मैं ही मिट जाऊँगा फिर बचेगा क्या?

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